Aadhar Card Supreme court Judgement Today In Hindi सुप्रीम कोर्ट बुधवार को आधार की संवैधानिक वैधता, राष्ट्रीय पहचान पत्र परियोजना सरकार पर अपने फैसले की घोषणा करेगा, जो उस समय से विवाद का विषय रहा है जब से इसे लाया गया था और अनिवार्य बना दिया गया था। यदि आप आज के ऐतिहासिक निर्णय की ओर अग्रसर घटनाओं का ट्रैक नहीं रखते हैं, तो यहां आपको आधार और फैसले के बारे में जानने की जरूरत है। यूआईडीएआई क्या है? आधार नामांकन के लिए डेटा इकट्ठा करने और प्रबंधित करने के लिए सरकार द्वारा अद्वितीय पहचान प्राधिकरण या यूआईडीएआई सरकार द्वारा जनवरी 200 9 में स्थापित एक सांविधिक प्राधिकरण है। आधार अधिनियम 2016 के तहत, यूआईडीएआई आधार जीवन चक्र के सभी चरणों के संचालन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, व्यक्तियों को आधार संख्या जारी करने और प्रमाणीकरण करने के लिए नीति और प्रक्रिया विकसित करने और पहचान जानकारी और प्रमाणीकरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है व्यक्तियों के रिकॉर्ड। आधार क्या है? आधार उनके बॉयोमीट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को ...
Bharat Band: Tel Pe Siyasat
तेल कीमत इतनी ज्यादा हो गयी है की बस चारो तरफ सिर्फ तेल की ही गूंज सुनाई दे रही है। उपर देश की राजनीतिक भी खुब तेल मे फ्राई हो रही। कल तोह इसी चाकर मे भारत भी बंद कर दिया हमरे देश सामाजिक नेता और उनके समर्थक ने। लोकतांत्रिक देश में विरोध चलता रहता है जिसको हम सब "फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन" कहता है इंग्लिश मे। देश में कुछ दिन पहले अभिवक्ति की आज़ादी (फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन) पर भी खूब हाय तौबा मचाया हुआ था की अब मोदी सरकार मे अभिवक्ति की आज़ादी नहीं है। तोह मेरा उन बुद्धिजीविओ से एक सवाल है , की तुम्हरा अभिवक्ति की आज़ादी यही है जो तुम सब तेल के नाम पर भारत बंध कर के गुंडागर्दी , गाड़ी तोड़ना ,शहर गाँव जलना .....?
तेल पर सियासी संग्राम और तेल का दाम इतना ज्यादा क्यों है...?
भारत में सियासत का क्या कहना हर चीज़ पर होती है चाहे बलात्कार हो या आतंकवादी हमला हो या कुछ भी हो। तोह फिर नेता तेल पर राजनीतिक कैसे नहीं करते उपर से 2019 का चुनावी मैदान भी तैयार करना है। मोदी सरकार और ओप्पोसिशन पार्टी अपनी अपनी सरकार के समाये मे तेल क दाम और आकड़े बताना मे लगे है की मेरे समाये मे तेल का दाम काम है या था जिसे कुछ राजनीतिक फायदा मिल सके। सच बोलो तोह सरे पार्टी जनता को पागल बना रहे है क्योकि सब पार्टी चुनाव के समय बोलती है की तेल का दाम बहुत है और हम चुनाव जीत के आये गा तोह दाम काम कर दे गा और जीत के बाद कुछ भी नहीं होता है और मजबूरिया बताने लगती है सरकार की इस वाज़े से काम नहीं कर पा रहे तेल का दाम। बस जनता के नाम पर भारत बंद करता है और राजनीतिक करते है। भारत बंद के चाकर में जनता को ही परशान करते है क्योकि ये राजनीतिक दल एम्बुलेंस तक की सेवा बंद कर देता है। जिसे मारना है मरे बस मेरा पार्टी को वोट मिल जाये। मैं ऐसा इसीलिए लिख रहा हु क्योकि कल के विरोध में बिहार में एक 2 साल की बच्ची मर गयी क्योकि उस बच्ची को सही समय में अस्पताल नहीं ले जाया जा सका क्योकि एम्बुलेंस नहीं जा सकी भारत बंद के करण। मेरा एक सवाल है की भारत बंद करना के बाद जो लोग परशान हुए उसका जबाब कौन नेता देगा ?
तेल का दाम बढ़ने का वज़ा ये है की क्रूड तेल के दाम में बढ़ना और रुपया का कमज़ोर होना डॉलर के तोलना मे। क्रूड तेल और डॉलर दोनों में अभी तेजी आई हुई है। लेकिन जब क्रूड तेल का दाम काम था तब भी सरकार बहुत ज्यादा काम नहीं की थी तेल के दाम। इस के एक वज़ा ये भी हो सकती है की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को सबसे ज्यादा टेक्स तेल से ही आता है जो विकाश के काम में लगाया जा सके। लेकिन जनता की भावना की भी कदर होनी चाहिए और सरकार को तेल के टेक्स में रिआयत देना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ये बोल रही है की मेरा हाथ में नहीं है तेल का दाम काम करना। ये बहुत सवेंदनहीन बयान है सरकार का।
तेल का दाम बढ़ने का वज़ा ये है की क्रूड तेल के दाम में बढ़ना और रुपया का कमज़ोर होना डॉलर के तोलना मे। क्रूड तेल और डॉलर दोनों में अभी तेजी आई हुई है। लेकिन जब क्रूड तेल का दाम काम था तब भी सरकार बहुत ज्यादा काम नहीं की थी तेल के दाम। इस के एक वज़ा ये भी हो सकती है की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को सबसे ज्यादा टेक्स तेल से ही आता है जो विकाश के काम में लगाया जा सके। लेकिन जनता की भावना की भी कदर होनी चाहिए और सरकार को तेल के टेक्स में रिआयत देना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ये बोल रही है की मेरा हाथ में नहीं है तेल का दाम काम करना। ये बहुत सवेंदनहीन बयान है सरकार का।
अब अंत में कुछ तेल के आकड़े को लेता है किसकी सरकार में तब और अब क्या भाव था या है।
सबसे पहले कांग्रेस के 2004 से 2009 और 2009 से 2014 -
- मई 2004 में कांग्रेस सरकार आई तब पेट्रोल के दाम दिल्ली में 33 . 71 रुपय/लीटर थी । फिर से मई 2009 में कांग्रेस की सरकार बानी तब पेट्रोल का दाम 40 . 62 रुपय/लीटर हो गयी थी यानी 2004 से 2009 के बीच 20 % का बिरिधि हुआ था ।
- मई 2009 में पेट्रोल का दाम 40. 62 रुपया/ लीटर से 71. 41 रुपया/लीटर थी मई 2014 में। यानि 76% का बिरिधि हुआ था ।
- मई 2004 में कांग्रेस सरकार आई तब डीज़ल के दाम दिल्ली में 21. 74 रुपया / लीटर थी। फिर से मई 2009 में कांग्रेस की सरकार बानी तब डीज़ल का दाम 30. 86 रुपय/लीटर थी यानी 2004 से 2009 के बीच 42 % का बिरिधि हुआ था । फिर मई 2009 में डीज़ल दाम 30. 86 रुपया/ लीटर से 56.71 रुपया/लीटर थी मई 2014 में। यानि 84 % का बिरिधि हुआ था ।
- देखा जाये तोह कांग्रेस सरकार में मई 2004 से मई 2014 तक पेट्रोल में कुल 112% बिरिधी हुई और डीज़ल में 160 %हुई।
अब आते है बीजेपी सरकार के 2014 से 2018 बीचा पेट्रोल और डीज़ल के दाम का आकड़े-
- मई 2014 में बीजेपी की सरकार आयी तब पेट्रोल का दाम दिल्ली में 71. 41 रुपया /लीटर थी। और अब 2018 का दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80. 73 रुपया /लीटर है। यानि 4 में पेट्रोल की कीमत में 13 % की बिरिधी हुई।
- मई 2014 में बीजेपी की सरकार आयी तब डीज़ल का दाम दिल्ली में 56. 71 रुपया /लीटर थी। और अब 2018 का दिल्ली में डीज़ल की कीमत 72. 83 % रुपया /लीटर है। यानि 4 में डीज़ल की में कीमत में 28 % की बिरिधी हुई।
अब ये भी बात आती है की क्रूड तेल की कीमत की तोह ये उपर निचा होती रहती है। अब सारा आकड़े सामने है कौन क्या है। सरकार टेक्स काम कर ले तोह तेल का दाम काम हो जाये गा।
जय हिन्द
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